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हिमाचल विधानसभा में पहली बार हो सकता है शून्यकाल, यहां समझे क्या होता है शून्यकाल

शिमला ( अनिल पंवार ) :- हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र तपोवन धर्मशाला में चला हुआ है। विधानसभा का यह शीतकालीन सत्र अपने आप में कई मायनों में महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक है। विपक्ष की माने तो यह हिमाचल प्रदेश के इतिहास का सबसे छोटा शीत सत्र है।  जिसको लेकर भाजपा ने सत्र शुरू होने से पहले ही सरकार पर हमलावर किया कि सरकार विपक्ष के सवालों का सामना करने की हिम्मत नही जुटा पा रही है। इसलिए सबसे कम दिनों का सत्र बुलाया है । पक्ष विपक्ष के बीच इस सियासी गतिरोध के बीच विधानसभा में एक नई और ऐतिहासिक परंपरा शुरू हो सकती है। वो नई परंपरा यह है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पहली बार लोकसभा की तर्ज पर शून्यकाल हो सकता है ।


शून्यकाल होता क्या है यहां जाने ..?

भारतीय संसद विशेष रूप से निचले सदन यानी लोकसभा में प्रश्नकाल के बाद का समय शून्यकाल कहलाता है।
शून्यकाल में संसद के सदस्य तत्काल सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं। शून्यकाल में बिना किसी पूर्व सूचना के महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया जा सकता है। संसद की अगर बात करें शून्यकाल आमतौर पर दोपहर 12 बजे शुरू होता है और 1 बजे तक चलता है। शून्यकाल को ज़ीरो आवर भी कहा जाता है। शून्यकाल संसदीय प्रक्रियाओं के क्षेत्र में एक भारतीय नवाचार है।शून्यकाल की अवधारणा संविधान या संसद के नियमों में कहीं भी नहीं बताई गई है. भारतीय संसद के ऊपरी सदन यानी राज्यसभा के लिए, दिन की शुरुआत शून्यकाल से होती है, न कि  लोकसभा की तरह प्रश्नकाल से।

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