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सुप्रीम कोर्ट से सूक्खु सरकार को सुप्रीम राहत , पूर्व 6 CPS की विधायिकी सुरक्षित

     हिमाचल सरकार की 6 मुख्य संसदीय सचिव (CPS) को हटाने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्टेटस-को यानी यथास्थिति बनाए रखने को कहा है। इस मामले को पहले से चल रहे छत्तीसगढ़, पंजाब और पश्चिम बंगाल के केस के साथ जोड़ दिया है।

इन राज्यों के CPS केस भी कोर्ट में पहले से विचाराधीन हैं। वहीं CPS केस को हाईकोर्ट में ले जाने वाले याचिकाकर्ताओं को भी नोटिस जारी कर 2 हफ्ते में सरकार की याचिका पर जवाब मांगा गया है। अब इस मामले में 20 जनवरी को सुनवाई होगी।

SC के स्टेटस-को के आदेश से CPS हटे रहेंगे। इसकी वजह यह है कि हाईकोर्ट के फैसले के तुरंत बाद सरकार ने इन्हें हटा दिया था। इसके अलावा इन्हें दी गई गाड़ियां, स्टाफ वापस लेकर ऑफिस भी खाली करा दिए थे। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका में की गई मांग को मंजूर करते हुए विधायकों की डिस्क्वालिफिकेशन पर रोक लगा दी है। ऐसे में यह प्रदेश सरकार के लिए  सुप्रीम कोर्ट से सुप्रीम राहत मानी जा रही है।

 हिमाचल सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा पेश हुए, जबकि बीजेपी की ओर से एडवोकेट मनेंद्र सिंह पेश हुए। कपिल सिब्बल ने कहा कि हाईकोर्ट कानून को रद्द करने के लिए अधिकृत नहीं है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने कानून को परिभाषित किया। आज सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जो प्रस्तुत किया, उससे राहत मिली है। अब वकीलों की सलाह के बाद कोर्ट में लड़ाई लड़ेंगे।

एडवोकेट जनरल अनूप कुमार रतन ने कहा कि CPS केस में आगे कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। हमने कोर्ट को यह आश्वासन दिया है कि भविष्य में CPS के लिए कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस के 6 विधायकों अर्की से संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, बैजनाथ से किशोरी लाल, रोहडू से एमएल ब्राक्टा, दून से राम कुमार चौधरी और पालमपुर से आशीष कुमार को CPS बनाया था। 19 नवंबर को हाईकोर्ट ने CPS को हटाने के आदेश दिए थे।

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