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हिमाचल में नए साल में नया सरदार !

  शिमला (रमेश सिंगटा) :- हिमाचल प्रदेश में हिमालय रेंज से निकलने वाली बेशक सर्द हवाएं चल रही हो, लेकिन सियासत का तापमान बढ़ने वाला है.. सियासी तपिश इसलिए, क्योंकि प्रदेश के दो प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा के संगठन का पूरा चेहरा और रंग रूप बदलने वाला है। नए साल में दोनों प्रमुख दलों को संगठन प्रमुख के तौर पर नया चेहरा मिलेगा। कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश पदाधिकारी से लेकर ब्लॉक तक की कार्यकारिणी को भंग कर दिया है। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की धर्मपत्नी प्रतिभा सिंह अध्यक्ष बनी रहेंगी। लेकिन पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अब प्रतिभा सिंह की अध्यक्ष पद से विदाई तय मानी जा रही है। सरकार के मुखिया सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने पसंदीदा सिपहसालार को संगठन की कमान थमा सकते हैं। बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने आलाकमान के साथ सियासी गोटियां फिट करनी आरंभ कर दी है। वैसे भी सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के संगठन और सरकार के प्रमुख के बीच अंतरखाते छत्तीस का आंकड़ा रहा है। संगठन की मुखिया अपने पसंद के पदाधिकारियों को सरकार के भीतर ओहदा दिलाने के लिए कड़ी जद्दोजहद करती रही। सार्वजनिक मंच से भी उन्होंने इसका इजहार किया, लेकिन संगठन की सरकार के भीतर ज्यादा सुनवाई नहीं हुई। जब से प्रदेश में सियासी उथल-पुथल की कवायत चली थी,तब से ही खटपट और बढ़ने लगी। सरकार पर मंडराए संकट के बादल भले ही छंट गए,लेकिन मुख्यमंत्री की नजर से होली लॉज पहले की तुलना में उतर गया। इसका असर पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के बेटे और कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह पर भी देखने को मिला। मंत्री होते भी हाथ में मंत्री जैसी पावर नहीं है। यह बात मंत्री को भी काफी कचोटती रहती है,पर इसे कड़वे सियासी घूंट के तौर पर अंदर ही अंदर पी लेते हैं। खैर, अब संगठन में अपने आदमियों को बिठाने की कसरत शुरू हो जाएगी। अगले काफी समय तक शह और मौत का खेल आरंभ होगा।

क्याप्रतिभा- बिंदल भी बदलेंगे..?

   उधर, भाजपा में प्रदेशाध्यक्ष अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल को बदलने की अटकलें भी तेज हो गई है। अध्यक्ष पद पर वह दूसरी पारी खेल रहे हैं, अभी तक नॉट आउट है, मगर कब आउट हो जाए इस पर सबकी निगाहें लगी हुई है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक नए अध्यक्ष पद की दौड़ में त्रिलोक जमवाल सबसे आगे चल रहे हैं। कांगड़ा से ताल्लुक रखने वाले पूर्व मंत्री एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार और पूर्व अध्यक्ष सतपाल सत्ती उनकी बराबरी पर ही कदमताल कर रहे हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की पहली पसंद जमवाल बताए जा रहे हैं। नड्डा चाहेंगे कि अध्यक्ष पद की पारी समाप्त होने से पहले वह हिमाचल में अपनी पसंद के नेता को अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाएं। अभी भाजपा के बूथ स्तर के चुनाव हो रहे हैं। अगले महीने मंडल स्तर के चुनाव होंगे।  फिर जिला और प्रदेश कार्यकारिणी के चुनाव होंगे। संभवत: नए साल के दो महीने के भीतर नए सरदार का चुनाव हो जाएगा। भाजपा का एक पक्ष यह भी कहता है कि अध्यक्ष कौन होगा इस मामले में आश्चर्यचकित करने वाला फैसला भी हो सकता है। हालांकि क्षेत्रीय संतुलन को भी साधने के प्रयास होंगे। भाजपा में यूं भी चौंकाने वाले फैसले होते रहते हैं। 

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