डॉ. वाईएस परमार यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल एनसीसी के आनरेरी कर्नल बनाए गए
डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, सोलन के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल एनसीसी के आनरेरी कर्नल बनाए गए हैं। प्रो. चंदेल को मंगलवार को विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले एक समारोह में कर्नल की इस मानद उपाधि से अलंकृत किया जाएगा। एनसीसी के ग्रुप कमांडर प्रो. चंदेल को मानद उपाधि और नियुक्ति पत्र सौंपेंगे। कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल एनसीसी कर्नल की मानद उपाधि हासिल करने वाले इस विश्वविद्यालय के तीसरे कुलपति हैं। उनको इस उपाधि से अलंकृत करने से विश्वविद्यालय में एनसीसी गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
शोध व शिक्षण में करीब तीन दशक का लंबा अनुभव
चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर की उपाधि, नौणी विश्वविद्यालय से कीट विज्ञान में पीएचडी की उपाधि हासिल करने वाले प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल को शिक्षा और शोध में करीब तीन दशकों का लंबा अनुभव है। इन्होंने कृषि व वानिकी शिक्षण में जर्मनी से विशेष अध्ययन किया है। रिसर्च फेलो के रूप में सेवा के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले प्रो. चंदेल कई अहम पदों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
प्रो. चंदेल नौणी विश्वविद्यालय, सोलन में संयुक्त निदेशक अनुसंधान, वरिष्ठ वैज्ञानिक कीट विज्ञान और प्रिंसिपल रेजीड्यू एनालिस्ट भी रह चुके हैं। इन्होंने शुष्क क्षेत्र में सेब में परागण, हर्बल शहद उत्पादन, पिस्ता की पैदावार में बढ़ोतरी, सेब में रस्टिंग समेत कई अन्य विषयों पर शोध किया। प्रो. चंदेल को उनके कृषि, बागवानी, शिक्षण, अनुसंधान और किसान कल्याण के लिए कई नामी संस्थाओं की ओर से दर्जनों प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार देकर भी सम्मानित किया गया है। इनके अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पत्रिकाओं में दो सौ से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं। वे कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में प्रमुख वक्ता के तौर पर व्याख्यान दे चुके हैं। गुजरात विधानसभा में भी प्राकृतिक खेती पर उनका संबोधन हो चुका है।
प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना को सफलतापूर्वक लागू किया
प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल हिमाचल प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक के रूप में भी काम कर चुके हैं। उन्होंने हिमाचल इस योजना की शुरुआत की और उनके नेतृत्व में प्रदेश में प्राकृतिक खेती ने एक अलग पहचान बनाई। आज हिमाचल के किसानों का रुझान रासायनिक खेती की बजाए प्राकृतिक खेती की ओर तेजी से बढ़ा है। यह इसी योजना का नतीजा है कि 2018 के बाद हिमाचल में 2,53,500 किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है और राज्य में अब 32,000 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती की जा रही हैं। प्रदेश भर में अब तक कुल 2,56,295 किसान प्राकृतिक खेती से जुड़ चुके हैं।
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