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उपचुनाव के बाद अब पेट्रोल ,डीजल की कीमतों पर गहराई राजनीति

गजेंद्र शर्मा ,शिमला |पेट्रोल व डीजल की कीमतों को लेकर एक बार फिर राजनीति गरमा गई है |इस बार इनकी किमते बढ़ने पर नहीं बल्कि कम होने पर बवाल मचा हुआ है |केंद्र द्वारा पेट्रोल डीजल की कीमतों मे कमी के बाद अब प्रदेश सरकार द्वारा भी इस पर लगने वाले कर को घटाकर कम कीया गया है ,जिसके बाद प्रदेश मे पेट्रोल की कीमतें जंहा लगभग 12 रुपए काम हुई हैं तो वंही  डीजल की कीमतों मे भी लगभग 17 रुपए की गिरावट आई है |यंहा इन कीमतों मे आई कमी को विपक्ष अपनी जीत का जलवा बता  रहा है |विपक्ष का कहना है की उपचुनावों मे मिली करारी हार के बाद केंद्र की मोदी  व प्रदेश की जयराम सरकार ने मेंहगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर किरकिरी होते देख पेट्रोल व डीजल की कीमतों पर से कर मे कमी करने का निर्णय लिया है |काँग्रेस के नेता तो इस जीत को मात्र ट्रैलर करार देते हुए पिक्चर अभी बाकी होने की बात कह रहे हैं |वंही ,यंहा इस फैसले से जो सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है वो है पेट्रोल और डीजल विक्रेता जिसे एकमुश्त कम हुई पेट्रोल डीजल की कीमतों के कारण करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ेगा ,क्योंकि इनके पास हजारों लीटर पेट्रोलियम उत्पाद पहले से स्टोर होता है, अब प्रश्न ये उठता है की क्या सरकार इनके नुकसान की अदायगी करेगी या फिर जो पेट्रोलियम उत्पाद इन्होंने जिस कीमत पर खरीदा है उसकी भरपाई करेगी और यदि नहीं तो फिर ये विक्रेता अपने नुकसान की भरपाई कैसे कर पाएंगे इसका तो राम ही मालिक है | वंही  बात अब प्रदेश की जयराम सरकार की करें तो वो पेट्रोल और डीजल की कीमतों मे की गई कमी को आम लोगों के लिए दिवाली का तोहफा करार दे रही है |अब ऐसे मे सवाल ये उठता है की यदि लोगों को दिवाली का तोहफा देना ही था उपचुनावों के परिणामों का इंतजार क्यों कीया जा रहा था, क्या पेट्रोल ,डीजल पर लगने वाले कर उस समय कम नहीं किए जा सकते थे जब इनमे से एक शतक लगा चुका था और दूसरा भी उसी कीमत को छूने की कगार पर था | इस प्रश्न का फिलहाल अभी तक कोई भी जवाब न तो किसी भाजपा नेता ने दिया है और न ही जयराम सरकार ने ,बस वो केवल इसे दिवाली का तोहफा करार देकर पल्ला झाड़ रहे हैं |

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