सुप्रीम कोर्ट में मुख्य संसदीय सचिव (CPS ) मामले में सुनवाई टली
हिमाचल के मुख्य संसदीय सचिव (CPS) मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। आज केस में सुनवाई नहीं हो पाई है। अब यह केस अगले एक दो दिन में लग सकता है। दरअसल, राज्य सरकार ने हिमाचल हाईकोर्ट के CPS की नियुक्ति कोअसंवैधानिक बताने वाले फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दे रखी है।
हाईकोर्ट ने बीते साल 13 नवंबर को हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) एक्ट, 2006 को रद्द करते हुए CPS की नियुक्ति को असंवैधानिक बताया था। हाईकोर्ट के इन आदेशों के बाद सभी CPS पद से हटाए जा चुके हैं। अदालत के आदेशों के बाद इनसे गाड़ी, दफ्तर व स्टाफ जैसी सुविधाएं वापस ले ली गई है।
SC ने अन्य राज्यों के साथ जोड़ा है मामला..?
अब सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल का CPS केस छत्तीसगढ़, पंजाब और पश्चिम बंगाल के केस के साथ जोड़ दिया है।
इन राज्यों के CPS केस भी कोर्ट में पहले से विचाराधीन हैं। वहीं CPS केस को हाईकोर्ट में ले जाने वाले याचिकाकर्ताओं को भी नोटिस जारी कर 2 हफ्ते में सरकार की याचिका पर जवाब मांगा गया है।
पिछली सुनवाई में प्रदेश सरकार की ओर से एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा, कानून रद्द करने को हाईकोर्ट अधिकृत नहीं था। वहीं, हिमाचल सरकार ने हाईकोर्ट में बार बार दलील दी कि हिमाचल का CPS एक्ट असम से अलग है। मगर हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने अर्की से विधायक संजय अवस्थी, बैजनाथ से किशोरी लाल, रोहडू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल, दून से राम कुमार चौधरी और कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर को CPS बनाया था। इन सभी को अलग अलग मंत्रियों के साथ अटैच किया गया था। हालांकि इन्हें फाइल पर साइन करने की शक्तियां नहीं थी। मगर सुख सुविधाएं लगभग मंत्रियों जैसी मिल रही थी।
हाईकोर्ट में कल्पना नाम की एक महिला के अलावा BJP के 11 विधायकों और पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेस संस्था ने CPS की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। संविधान के अनुच्छेद 164(1) ए के तहत किसी भी राज्य की विधानसभा में मंत्रियों की संख्या 15 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए।
हिमाचल में 68 विधायक हैं, इसलिए यहां अधिकतम 12 मंत्री ही बन सकते हैं। प्रदेश सरकार में सीएम, डिप्टी सीएम सहित कुल 11 मंत्री हैं, जो 6 सीपीएस को मिलाकर 17 बनते हैं। इसी को तीन याचिकाओं में चुनौती दी गई थी।
बीते साल 13 नवंबर को कल्पना और बीजेपी के 11 विधायकों की याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया। जबकि, पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेस संस्था की याचिका पर 20 नवंबर को अदालत ने आदेश दिए।
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