सीएम की कुर्सी हमेशा नहीं रहती, सिद्धांत जिंदा रहते हैः सीएम सुक्खू
हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने बुधवार को दल-बदल के कारण अयोग्य घोषित पूर्व विधायकों की पेंशन-भत्ते बंद करने का विधेयक पारित कर दिया। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने संशोधन को पारित करने का प्रस्ताव पेश किया। इस विधेयक में पेंशन अधिकार से वंचित करने के साथ ही कांग्रेस के दो पूर्व विधायकों से पिछली राशि वसूलने का प्रावधान भी किया गया है।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने विधानसभा में संशोधन विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सत्ता और मुख्यमंत्री की कुर्सी हमेशा साथ नहीं रहती। राजनीति में सिद्धांत जिंदा रहते हैं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि दल-बदल करने वाले सदस्यों की उनसे नाराजगी हो सकती थी, मगर इन्होंने पार्टी को धोखा दिया। मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों की मजबूती के लिए यह संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया है।
हालांकि इस विधेयक का विरोध करते हुए इसे पूर्वाग्रह से बनाया विधेयक करार दिया। नेता विपक्ष जयराम ठाकुर का कहना था कि यह कार्रवाई दल बदल कानून में नहीं बल्कि व्हिप के उल्लंघन पर की गई। उन्होंने कहा कि रहम करना भगवान को अच्छा लगता है। उन्होंने संशोधन विधेयक वापस लेने की मांग की।
विधानसभा में सत्ता पक्ष के विधायकों ने ध्वनिमत से संशोधित विधेयक पारित किया। इसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और मंजूरी मिलने पर यह कानून बन जाएगा। कानून बनने पर पहली बार विधायक बनने के बाद अयोग्य घोषित पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा और देवेंद्र भुट्टो को पेंशन-भत्ते नहीं मिलेंगे। हिमाचल प्रदेश ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा।
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